नजर ने धोखे
नजर ने धोखे
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नजर ने धोके हजार खाये,
मगर नजर वो कहां बचाये।
अजब हमारा नसीब देखो,
कदम कदम पे अलम उठाये।
हवा शजर को गिरा न डाले,
खीजां उगलते मुहीब साये।
गरीब घरका जहीन बच्चा,
कदम कदम पे ठोकर खाये।
शजर खीजांका असीर होकर,
हवाकी जटको से न टुट जाये।
उम्मीद दर दर भटक रही है,
फरज करम का निखार पाये।
भरी तमन्ना मचल के मासूम,
नइ खुशी का जशन मनाये।