Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

दीवार के उस पार

दीवार के उस पार

1 min
6.9K


एक बड़ी सी पत्थर और ईंट की दीवार, जो अभी है नई

दीवार के उस पार  है एक जंगल एक नदी

और शान्ति,  जो अब उधर रहने है आई

दीवार के इस पार एक बस्ती, है इंसानों से जो लदी

दीवार के इस तरफ की जगह है शोर से भरी

इंसानों से जुड़ा अगर कुछ  है तो ये दीवार, उस तरफ से जो आखिरी

शोर ऊँचा है, वो शान्ति को उस पार देख लिया करता है

थका हारा धर दीवार पर आँखें सेंक लिया करता है

शान्ति हवाओं को ओढ़ इधर-उधर घूमती रहती

कभी फूल तो कभी गिलहरी के सर को चूमती रहती

एक दिन वो दीवार तक आ पहुंची

कोशिश की पर ऊपर तक चढ़ न सकी

जिज्ञासा की बेल पकड़ लटक रही थी वो

असहाय पा अब  खुद को कोस रही थी वो

फिर ऊपर से आवाज आई हाथ बढ़ाओ

शान्ति को इतने पास से देख शोर में नदी सी तैर गई

और शोर की आँखों से उतर ठंडक शान्ति में ठहर गई

हाथ पकड़ वो ऊपर चढ़ी

बैठी दीवार पर आँखों में गुफ्तगू छिड़ी

दीवार जो कुछ पत्थर कुछ इंसान की ईंटों से थी जड़ी।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Fantasy