बारिश बन मेहमान आई
बारिश बन मेहमान आई
मौसम बदल गया है
बह रही ठंड हवा है
बारिश की पहली फुहार
है तपती धरा की पुकार
बहुत दिनो के बाद आज
लगता हुई जैसे सुनबाई है
मेघ ले रही अंगड़ाई है
बारिश बन मेहमान आई है
देखो आज आसमाँँ नीला हो गया
पूरा नज़ारा ही चमकीला हो गया
बादल भी है पूरा तैयार
कर रहा बिजली से प्रहार
तरर हो गयी माँ धरती
बहुत दिनों में हरिआई है
मेघ ले रही अंगड़ाई है
बारिश बन मेहमान आई है
खेत खलिहान सब खाली पडे थे
बैल,हल,किसान सब तके खड़े थे
दर्द भूख सह सब लगा रहे थे गुहार
देख तमाशा थी मौन हमारी सरकार
कांप उड़ी थी गर्मी से बसुधा भी
बहुत दिनों में हुई पानी की अगुआई है
मेघ ले रही अंगड़ाई है
बारिश बन मेहमान आई है
चमक उठी है फिज़ाएँ
गा रही नगमे हैं हवाएं
धन्य हुई धरा तेरे रैन से
सोएंगे मिल सब चैन से
न जाने कितने दिनों के बाद
ये खुशियाँँ हम तक आई है
मेघ ले रही अंगड़ाई है
बारिश बन मेहमान आई है...।