Shailaja Bhattad
Abstract
दो पल की इस जिंदगी में,
रहे सदा 36 का आंकड़ा बनकर।
कभी खुद को रुलाकर
कभी दूसरों को सता कर।
श्री राम
भक्त वत्सल रा...
बसंत पंचमी-1
वसंत पंचमी
हरिधुन
जय श्री राम
रघुनंदन
जयसियाराम 1
राम विधाता
सती नहीं, देवी नहीं, गर्व है, हम नारी हैं नारी बन ही रहना है सती नहीं, देवी नहीं, गर्व है, हम नारी हैं नारी बन ही रहना है
दिल लगाना, इसे बहलाना सही नहीं, कुछ सही है तो सिर्फ अपनी मंज़िल के लिए दिल लगाना, इसे बहलाना सही नहीं, कुछ सही है तो सिर्फ अपनी मंज़िल के लिए
ताकि आधुनिकता में भी वो महत्व समझें संस्कारों के प्रभाव का। ताकि आधुनिकता में भी वो महत्व समझें संस्कारों के प्रभाव का।
एक ऐसा देश जो हमें, प्रकृति की गोद का एहसास कराता, एक ऐसा देश जो हमें, प्रकृति की गोद का एहसास कराता,
शरीर का क्रिया कर्म यहीं हो जायेगा शरीर से आत्मा पहले ही आपको छोड़ जायेगा, शरीर का क्रिया कर्म यहीं हो जायेगा शरीर से आत्मा पहले ही आपको छोड़ जायेग...
अनुशासन के पथ पर चलकर विजय पताका लहराएं, अनुशासन के पथ पर चलकर विजय पताका लहराएं,
जब तक अश्क को चखा ना तुमने स्वाद भला क्या जानोगे जब तक अश्क को चखा ना तुमने स्वाद भला क्या जानोगे
कविता तुम कहाँ हो. कविता तुम कहाँ हो.
अवसर मिलने पर भी धन का गबन या घोटाला करता नहीं। अवसर मिलने पर भी धन का गबन या घोटाला करता नहीं।
स्वयं को ही यदि भूल गया, तो होगी तुझे हैरानी झूठ के जाल में फंसेगा, बढ़ती जाएगी परेशान स्वयं को ही यदि भूल गया, तो होगी तुझे हैरानी झूठ के जाल में फंसेगा, बढ़ती जाए...
मैं अपना दिल तेरे दिल से मिलाता कैसे दानिस्ता शीशे को पत्थर से टकराता कौन है मैं अपना दिल तेरे दिल से मिलाता कैसे दानिस्ता शीशे को पत्थर से टकराता कौन है
दूध के साथ दाल का पानी पीता भूख लगे तो रो रो वह आता। दूध के साथ दाल का पानी पीता भूख लगे तो रो रो वह आता।
मैं मृत सी...जीवित इंसान हूँ, यारों...अवगुणों से भरी खान हूँ! मैं मृत सी...जीवित इंसान हूँ, यारों...अवगुणों से भरी खान हूँ!
हर दिन ही उत्सव है भारत में मगर खास दीवाली और होली। हर दिन ही उत्सव है भारत में मगर खास दीवाली और होली।
जीना है मुझे बस इसी के खातिर खैर यह बात भी मंजूर है मुझे जीना है मुझे बस इसी के खातिर खैर यह बात भी मंजूर है मुझे
भर आई हैं आँखें तो इन्हें छलक जाने दे छोटी सी झील में समंदर बसाया ना कर भर आई हैं आँखें तो इन्हें छलक जाने दे छोटी सी झील में समंदर बसाया ना कर
ध्वनि उसके कानों तक नहीं गूंज पाती थी हाथों के संकेतों से ही ... जीवन की परिभाषा समझ ध्वनि उसके कानों तक नहीं गूंज पाती थी हाथों के संकेतों से ही ... जीवन की ...
तूफ़ान का तेज़ भी रोक दे ऐसा निर्मल झरने सा है स्वर तेरा तूफ़ान का तेज़ भी रोक दे ऐसा निर्मल झरने सा है स्वर तेरा
तभी कुछ दूर कहीं रोने की आवाज सुनाई दे रही थी, पास जाकर देखा घर पर बीमारी दिखाई दे रह तभी कुछ दूर कहीं रोने की आवाज सुनाई दे रही थी, पास जाकर देखा घर पर बीमारी दि...
यूँ तो घर में खरीदी हर चीज़ ने मुझे ख़ुशगवार रखा है बस कमबख़्त इस आईने ने मुझे सोगवार रखा है यूँ तो घर में खरीदी हर चीज़ ने मुझे ख़ुशगवार रखा है बस कमबख़्त इस आईने ने मुझे सोगव...