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Husan Ara

Tragedy

5.0  

Husan Ara

Tragedy

बदला मौसम

बदला मौसम

1 min
521


घृणा मेह सी बरस रही,

प्रेम सूखा सा करवट बदल रहा।

ईर्ष्या, द्वेष की गर्मी से

पृथ्वी का मौसम बदल रहा।


मानवता यहाँ सुन्न पड़ी है

क्रूरता की ठंड में

रिश्तों की पतझड़ यहां

देखो अबकी बसंत में।


अहिंसा का पाठ भी

ग्लेशियर सा पिघल रहा

ईर्ष्या द्वेष की गर्मी से

पृथ्वी का मौसम बदल रहा।


यहां दुश्मनी की आंधी में

हिंसा के तूफ़ान आते

सत्ता के चक्रवात यहाँ

नफरत की सुनामी लाते।


भूकंप सी काँपे ज़िन्दगी

हर मन मे ज्वालामुखी सा उबल रहा

ईर्ष्या द्वेष की गर्मी से ,

पृथ्वी का मौसम बदल रहा।


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