बाबा साहब अम्बेडकर जी पर कविता
बाबा साहब अम्बेडकर जी पर कविता
भीमराव अंबेडकर जी, बाबा साहेब तुम्हे प्रणाम
भारत की पावन गाथा में, अमर तुम्हारा नाम
भीम जैसा सूरज अगर निकला ना होता,
हम दलितों के जिवन मे ये उजाला ना होता,
मर गये होते युही जुल्म सहकर
अगर हमे भीम जैसा रखवाला मिला ना होता।
ये शान ये शौकत और ये ईमान न होता।
आज कोई इस देश में किसी का मेहमान न होता!
नहीँ मिल पाती खुशियां हमे इस वतन में।
अगर इस देश का संविधान बाबा साहेब ने लिखा न होता।।
दलित समाज सुधारक को बाबा साहेब कहते है।
जलते दीपक बनकर सदा हमारे दिल में रहते है ।।
बाबा तेरी कलम के बल हम राज करते है।
तेरी करनी पे बाबा हम नाज करते है।
बदलेगा वक्त ओर जमाना भी।
जय भीम के उदघोष से ये आगाज करते है।
अमीरों का दिया हर अत्याचार सहा था उसने,
फिर भी दो वक़्त की रोटी भी कमा ना पाया था
अपनी ग़रीबी के आगे, वो बेबस नजर आया था ।
फिर भी दो वक़्त की रोटी भी कमा ना पाया था ।
फ़िर हुआ एक रोज चमत्कार इस धरती पर,
बनकर मसीहा, ख़ुदा धरती पर उतर आया था ।
देश के लिये जिन्होने विलाश को ठुकराया था।
गीरे हुये को जिन्होंने स्वाभिमान सिखाया था।
जिसने हम सबको तूफानों से टकराना सिखाया था।
देश का वो था अनमोल दीपक जो बाबा साहब कहलाया था।