तन्हाई
तन्हाई
अंधेरे मे तन्हाई अच्छी ही लगती है,
खुलकर बातें करने से दिल डरता नहीं।
ग़म में डुबा दिल आंँखों से आते आँसू,
मालूम है उन्हें कोई देखने वाला नहीं।
हर शख्स खुद इतना परेशान यहाँ,
क्या करे दिल को पूछने वाला नहीं।
अंधेरे में तन्हाई ही अच्छी लगती है,
खिला चाँद ख़ुश, बस दिल ख़ुश नहीं।
चारों तरफ वैसे भी तो भीड़ ही भीड़ है,
ढूंढा बहुत कोई सहारा मिला नहीं।
पगले दिल को क्या समझाये खाक,
सब पराये है यहाँ तेरा कोई अपना नहीं।।