Rajit ram Ranjan
Drama
कुछ अलग अपनी तरह
महसूस होता है
पता नही क्यों !
कैसे यकीन हो
यह सच है
या झूठ ?
हर पल यही
सोचता है
दिल...!
रूठकर उनका चल...
करनी पड़ी सगा...
एक हवेली थी,द...
दिसंबर का वो ...
लड़कियां बेवफ...
ये बारिश की ब...
कहना तो बहुत ...
मैंने भी मोहब...
दिलों का आलम
ज़िंदगी भर साथ निभाएं अपनी ऐसी सोच नहीं करते ज़िंदगी भर साथ निभाएं अपनी ऐसी सोच नहीं करते
रोज रोज नए पकवान बनते खाते मीठे खट्टे ठीक है यह मेहमान गजब है। रोज रोज नए पकवान बनते खाते मीठे खट्टे ठीक है यह मेहमान गजब है।
मैया ने सोचा तब यह उपाय, कान्हा को सुंदर पहना दी पायल l मैया ने सोचा तब यह उपाय, कान्हा को सुंदर पहना दी पायल l
गाँव की गलियाँ छोड़ यादें ले के निकले हैं। भीड़ के शहर में कहीं मेरा भी पड़ाव होगा। गाँव की गलियाँ छोड़ यादें ले के निकले हैं। भीड़ के शहर में कहीं मेरा भी पड़ा...
शांति में अशांति में आंसू में खुशी में शांति में अशांति में आंसू में खुशी में
दूर हो न करीब ही हो मेरे "जाना" फिर भी तू हम कदम हो अच्छा लगता है दूर हो न करीब ही हो मेरे "जाना" फिर भी तू हम कदम हो अच्छा लगता है
रूप दिखावे की, समृद्धि ही दिखती है देख नहीं पाती है अब, गौरव अतीत है पीछे।। रूप दिखावे की, समृद्धि ही दिखती है देख नहीं पाती है अब, गौरव अतीत है पीछे।।
प्यार का लिखा मिट ना पाए अब कोई जिए या कोई मर जाए प्यार का लिखा मिट ना पाए अब कोई जिए या कोई मर जाए
कैसे तेरी उस हल्की सी मुस्कान से मेरी रातों की नींद उड़ी थी, कैसे तेरी उस हल्की सी मुस्कान से मेरी रातों की नींद उड़ी थी,
मेरे पास आते हो लगता है छोड़ न जाना जैसे आस लगती हो रिश्ता तोड़ न जाना ! मेरे पास आते हो लगता है छोड़ न जाना जैसे आस लगती हो रिश्ता तोड़ न जाना...
कोई गम में डूबा हुआ है। और किसी की छत आसमान से रोशन है कोई गम में डूबा हुआ है। और किसी की छत आसमान से रोशन है
बस अपने हल्के हाथों से... बचपन की यादें ताजा करते हैं। बस अपने हल्के हाथों से... बचपन की यादें ताजा करते हैं।
जो मुंह मोड़ती है मुझसे हर बार जैसे नकार दिया हो मेरा अस्तित्व जो मुंह मोड़ती है मुझसे हर बार जैसे नकार दिया हो मेरा अस्तित्व
अब किसके भरोसा करे हम जब अपने ही बेगाने निकल गए, अब किसके भरोसा करे हम जब अपने ही बेगाने निकल गए,
रूढ़िवादी संस्कृति का निवाला अर्पित किया रूढ़िवादी संस्कृति का निवाला अर्पित किया
वो बाते आज भी याद करके मैं हर बात सोचती रहती वो बाते आज भी याद करके मैं हर बात सोचती रहती
मेरी चाहते हैं अलग फिर भी साथ है मेरी चाहते हैं अलग फिर भी साथ है
कभी दरिया संग बह जाती हूँ इक छोर, कभी दरिया संग बह जाती हूँ इक छोर,
उठते मन के कोलाहल का, राज कोई न भांप सका, उठते मन के कोलाहल का, राज कोई न भांप सका,
लम्बे अरसे तक निभाने के लिए किए गए वादे ओझल हो जाते हैं। लम्बे अरसे तक निभाने के लिए किए गए वादे ओझल हो जाते हैं।