ओस की बूंद
ओस की बूंद
ओस की बूंद सी है मेरी ज़िन्दगी
सिमटी सकुची खुद में
अकेले तन्हा पत्ते की गोद पर बैठी ,
सूर्य के किरणों के साथ
चमकती , दमकती, इठलाती
मन मे कई आशाएं जगाती
हवा के थपेड़ो को झेलती सहती
फिर उसी मिट्टी मे विलीन हो जाने को आतुर रहती
ओस की बूंद सी है मेरी ज़िन्दगी