सफर सुहाना
सफर सुहाना
ये गुमसुम,
ये चुपचाप,
रहना कुछ,
अजीब-सा
लगता है।
जीवन में,
मिलजुल,
कर खुशियाँ,
बाँटने से,
सफर सुहाना,
कटता है।
फिर भी उनकी,
ये हर अदायें,
अच्छी लगती है।
दिल में खुशियाँ,
ही खुशियाँ,
मिलती है।
कभी-कभी,
तिरछी नजरो,
से देखना वो,
पलके उठाना,
फिर झुकाना।
बहुत कुछ,
आँखो-आँखो,
में कह देना।
बना देता है,
सफर सुहाना।
सफर में मिलना,
बिछड़ना तो,
होता ही है।
खुशियों के,
कुछ पल ही,
बना देते है,
सफर सुहाना।