घर की दीवारें
घर की दीवारें
हृदय जगे अनुराग मिलन हो
दिल का तब घर की दीवारें
बनती हैं l
प्यार और विश्वास
की मजबूत नींव पर ही ये
टिकती हैं l
समझदारी की ईंटों से
शोभा इसकी
बढ़ती है l
एक-दूजे का हाथ थाम कर
घर की गाड़ी
चलती है l
शक़ जो रिश्तों में आ जाए
घर की बुनियादें
हिल जातीं हैं l
नासमझी जो लगी फैलने
दीमक दीवारों पर
लग जाती है l
बड़ों का आशीर्वाद सदा
घर में सुख को
फैलाता है l
साथ दुआ जो मात-पिता की
वैभव घर का
बढ़ जाता है l
प्यार और विश्वास की चाभी
के संग इसको करो
सुरक्षित l
तीखे बोलों को बंद कर दो
ताले में सब हल हो
मुश्किल l