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Aarti Prajapati

Romance

5.0  

Aarti Prajapati

Romance

मैं रहूँगी सिर्फ तेरी

मैं रहूँगी सिर्फ तेरी

1 min
276


बसंत की ऋतु में खिल रहे फूलों की तरह है प्यार तेरा,

पेड़ पर झुकी हुई डालियों की तरह है अंदाज तेरा,

सूरज की किरणों से निकलती हुई धूप सा है गुस्सा तेरा,

नए पत्तो की उम्मीद में इन्तज़ार करने वाले पेड़ सा है इन्तज़ार तेरा,


हवा के झोकों से खिल खिलाते फूलों सी है मुस्कुराहट तेरी,

रात में चन्द्रमा से मिलने वाली शीतलता की तरह है बातें तेरी,

बिना नशे के ही मदहोश करने वाली नशीली है आंखें तेरी,

सावन में बरसती बारिस की बूंदों की तरह है नाराज़गी तेरी,

पसंद आता है मुजे हर वक्त हर पल अंदाज तेरा,हर बातें तेरी,


मैंने तुझे अपना माना है और मैं रहूँगी सिर्फ और सिर्फ तेरी।


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