लड़के
लड़के
दिन भर फिरने वाले लड़के
रात में पढ़ने वाले लड़के
माँ के पहलू में छिपते हैं
बाप से डरने वाले लड़के
पत्थर से सीने के भीतर
मन में झरने वाले लड़के
सच में कुछ भी कर सकते हैं
इश्क में मरने वाले लड़के
परसों की आधी सिगरेट भी
बाँट के पीने वाले लड़के
काँच की एक बोतल से बोलो
कितना दर्द सम्हाले लड़के
लड़की जैसे रोते भी हैं
लड़के दिखने वाले लड़के
होठों पे वर्षों से गाली
नैनों के मतवाले लड़के
इक दिन चंदा पे चढ़ लेंगे
जो बैठे हैं ठाले लड़के
भीतर-भीतर से उजले हैं
दिखते हैं जो काले लड़के
सब मुझसे कहते हैं सुनले
ग़ज़लें कहने वाले लड़के
तुझको आखिर कौन मिलेगा
ओ धोती चोटी वाले लड़के।।