मेरी जिन्दगी
मेरी जिन्दगी
मेरा हर दिन तुझे देखते-देखते गुजर जाता है --
- रातें भी तुम्हारे सपनों में मग्न होकर गुजर जाती हैं I
हर वक़्त खोया रहता हूँ मैं कही ना कहीं यहां --
- आखिर तन्हा चांद को देखकर बहुत संतोष मिलता है I
एक अजीब सी बहार आ जाती है मेरी जिन्दगी में --
क्यों हर बक्त मेरा मन तन्हा रहने को करता हैI
आती है जब कभी तेरी याद मुझे यूँ तन्हाई में --
ना चाहते हुए भी तेरी तस्वीर को देखना पड़ता है I
गिर पडते हैं आँसू आँखों से बारिश की तरह --
दिया हुआ तेरा दर्द जब हद से गुजर जाता है I
बहुत मन करता है मेरा तुमसे दिल की बातें करने का --
पर पता नहीं क्यों उस बक्त मेरा दिल घबरा जाता है I
रमन शर्मा ।