शहादत
शहादत
कल मोहब्बत में बहुतों ने गुलाब दिया
तो कोई गुलाब मोहब्बत में शहीद हो गया।
आसमां भी इस क़दर रो दिया कि
मोहब्बत के दिन ही शहीदों ने कर्जदार बना दिया।।
मुझे बता दो सुकून मिलेगा कैसे
जब सुकून से सुलाने वालों की अर्थी पर तिरंगा लिपटा हुआ है।
आधे इंच-ए-शव का माँ लेगी कैसे
जब आधे इंच कम में बेटा आर्मी में नहीं हुआ है।।
उस पत्नी की वेदना को मैं शब्दों में ढाल नहीं सकता
बेटों और बेटियों की चीख़ों को कविता में पिरो नहीं सकता।
जिसकी अर्थी को उठाने वाला सहारा ही छिन जाये
उस बाप के आँखों के तारों को मैं जहां में ला नहीं सकता।।
कब तक यूँ शहादत देनी पड़ेगी
कब तक यूँ ख़ून के आँसूओं की नदियां बहेंगी।
काश! कुछ ऐसा हो जाये वतन में मेरे मौला
आतंक करना तो दूर सोचने से भी रूह कांप उठेगी।।