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जिस्म में

जिस्म में

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गली की

बंजारिन

गलियो

मे नही ।

जिस्म मे

राज

करती है ।

मोहब्बत

की सौगात

आँखो से

झलकती है ।


इन्तजार का

मजा ही

कुछ और है

बस पल

पल मे बैचेनी

बढती है ।


जब किसी

की याद

अकेले मे

सताती है ।

मीठा दर्द

देकर रूलाती है ।


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