आँख
आँख
आँख से दूर न हो
आँख में बस जाऊँगा
जब भी चाहेगा तू
मैं तुझे याद आऊँगा
आँख ही साज है
आँख ही राज कोई
आँख ही मूरत है
मैं पूजा बन जाऊँगा
आँख में हैं छिपे
कई राज घनेरे कितने
इक पल,कोई दिन
इक पूरी जिन्दगी जैसे
आँख नहीं ये तेरी
एक इतिहास है छिपा
मैं भी किसी दिन इसी की
परतों में खो जाऊँगा !!