मुक्तक
मुक्तक
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अंगारों से जब-जब मैं हाथ मिलाता हूँ
जलन के हर बार एहसास नए पाता हूँ
दूसरे के अनुभव से बेशक तुम्हारा काम चले
अनुभव हक़ीक़त के लिए मैं हाथ जलाता हूँ।