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Nisha Nandini Bhartiya

Drama

5.0  

Nisha Nandini Bhartiya

Drama

क्यों हो गए रिश्ते कच्चे ?

क्यों हो गए रिश्ते कच्चे ?

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पतंग और डोर से ये रिश्ते

न जाने क्यों हो गए कच्चे ?

घूमती थी पतंग डोर के साथ

डोर कसकर थामती थी

पतंग का हाथ।


पतंग उड़ गई                          

डोर कांटों में उलझ गई

अब दोनों ही रहते हर पल उदास

नहीं कहीं किसी को अहसास

न जाने क्यों हो गए रिश्ते कच्चे ?


सिमट रहे हैं सब अपनी केंचुली में

नहीं सफर करती अब भावनाएं

रिश्तों की गाड़ी में

जाल बिछा है झूठ फरेब का

हिलने लगी है बुनियाद रिश्तों की।


कमजोर दीवारें ढहने लगी हैं

बचा सको तो बचा लो

दम तोड़ते दबे हुए को

नब्ज पकड़ कर देख लो

सांस चल रही है।


मिलन की आस पल रही है

पर न जाने क्यों हो गए रिश्ते कच्चे ?

मत करो तुम छेड़छाड़ इन से

नाजुक बहुत हैं पंखुड़ियाँ इन की

टूटने पर जुड़ न सकेंगी

जीवन भर अपाहिज जियेंगी।


कोमल हाथों से सहज कर

संभाल लो इन को

पकड़ कर मजबूती से

प्यार दुलार से                                

हृदय के प्रकोष्ठ में

रख लो इन को।


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