Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

मेरी कलम, मेरी आवाज़

मेरी कलम, मेरी आवाज़

1 min
302


आवाज़ उठाई है मैंने पहली बार

कलम ने रचना की है पहली बार

सब देख कर मैं चुप कैसे रहती?

जो बीती है वो बयाॅं कैसे न करती?


मुझे प्रेरित किया है हा-हाकारों ने

करूण रोदनो ने, चीख-पुकारों ने

पतित पापीयों के अत्याचारों ने

चुप-चाप बहती अश्रु-धाराओं ने


न्याय की गुहार लगाती आत्माओं ने

भूख से बिलखते बच्चों की माँओं ने

गरीबी की आग में झुलसते किसानों ने

वासना की बलि चढ़ी योषिताओं ने


मेरी पहली रचना है न्याय का निवेदन

न और कुछ कर पाऊ मैं अकिन्चन

मेरी आवाज़ है मेरी कलम की स्याही

सशक्त इतनी की पापी करे त्राही-त्राही।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational