ऐ माँ
ऐ माँ
दुनिया की भागमभाग से
थक सा गया हूँ, मै गाँव लोट आया हूँ,
ऐ माँ तेरे आँचल की शितल छाया में
कुछ देर बिताने आया हूँ।
गाँव में पीपल की ठण्डी छाया
और सुनहरी शाम को,
फिर से महसूस करने आया हूँ।
तेरे हाथों से खाना खाने और
मेरे बालो को सहलवाने आया हूँ,
ऐ माँ तेरे आँचल की शितल छाया में
कुछ देर बिताने आया हूँ।
घर के आँगन में गुजरे वक्त को
एक बार याद करने आया हूँ,
बचपन के हसीन ख्वाबों को
फिर से संजोने आया हूँ।
तितलियों के पीछे भागने
और मेरे साथी खेतो में खड़े
बिजूका के हाल पूछने आया हूँ
ऐ माँ तेरे आँचल
खेतो की हरियाली में खो जाने आया हूँ
पुरानी तालाब में डुबकी लगाने और,
माताजी के मंदिर में माथा टेकने आया हूँ।
ऐ माँ तेरे आँचल
कुछ देर के लिए ही सही मै घर लोट आया हूँ,
तेरे साथ ढेर सारी बाते करने आया हूँ,
माँ तेरे आँखो से आंसू पोछने आया हूँ।
ऐ माँ तेरे आँचल की शितल छाया में
कुछ देर बिताने आया हूँ ।