अहेर
अहेर
अहेर बना तेरे नयनों का
अलकों में तेरे मैं लुट गया
अधरों का तेरे मैं भँवरा हूँ
अभिलाषा तेरी में सँवरा हूँ
कपोल गुलाब के तेरे गड्ढों में
जीवन का हर मेरे सुख गया
अहेर बना तेरे नयनों का
अलकों में तेरे मैं लुट गया
लम्बी सुराही तेरी शिरोधरा
जाने इस पे कितना हूँ मरा
अब हृदय मेरा तेरा अनुचर है
तेरे रूप के ताप से झुक गया
अहेर बना तेरे नयनों का
अलकों में तेरे मैं लुट गया