गज़ल 2
गज़ल 2
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मुझे दो पल की ज़िन्दगी जो तेरे आने के बाद मिली है
ऐसा लगता है कोई खुशी ज़माने के बाद मिली है
एक अरसे के बाद तुझे पाकर ऐसा लगता है मुझे
जैसे कोई शै खो जाने के बाद मिली है
जी चाहे इन्ही लम्हों मे उमर गुजार दुँ
वक्त वो शै है जो कहाँ जाने के बाद मिली है
ज़िन्दगी में जो भाया वो पा लिया ज़रुर
मगर हर चीज़ कीमत चुकाने के बाद मिली है
अपने मतलब के लिये लोग रिश्ते जोड़ते तोड़ते हैं
ये सीख मुझे ठोकर खाने के बाद मिली है
वो खुशी कभी रास नही आया करती
जो किसी मजलूम का दिल दुखाने के बाद मिली है