बचपन
बचपन
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कितना अच्छा लगता है ,
जब हम बच्चे बन जाते हैं ,
बच्चों सा झगड़ते हैं ,
बच्चों सा चिल्लातें है ।।
गिरते ,संभलते रहते हैं,
और हिम्मत नई जुटाते हैं,
अपनी चाहत को पाने के खातिर ,
सब से हम लड़ जाते हैं ।।
न रखते हैं वैर किसी से ,
बुरा भला सब भूल जाते हैं ,
रहते हैं बस अपनी धुन में ,
खुद से ताल मिलाते हैं ।।
ना सोचते कल क्या होगा ,
बस आज में जी जाते हैं,
ना ही दिखावा,ना ही स्वार्थ ,
बेइन्तहां प्यार लुटाते हैं।।
जब इतना सुकून है इस बचपन में,
ना जाने हम क्यों बड़े हो जाते हैं ।।