अर्पण कुमार की कविता 'नींद की तैयारी'
अर्पण कुमार की कविता 'नींद की तैयारी'
सैकड़ों चेहरों से
अटी-पड़ी आँखों को
पानी से धोकर रिक्त किया है
साबुन से रगड़-रगड़ कर
चेहरे से दिनभर की खीझ और ऊब को
बड़ी और महान शख़्सियतों के समक्ष
सुबह से लेकर शाम तक
की जाने वाली अपनी मिमियाहट को और
उनके आगे अक्सरहाँ शुरू हो जानेवाली
अपनी हकलाहट को
हटाया है
इस जीवन में कभी पूरा न हो
सकने वाले अपने सपनों के
गर्द-गुबार को झाड़कर
अपने शरीर को हल्का किया है
नऐ-पुराने सारे मुखौटों को
एक किनारे कर बिस्तर में
धँस गया हूँ
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अब मुझे सो जाना चाहिऐ
एक उद्वेग-रहित नींद की
पूरी तैयारी
कर ली है मैंने।
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