यह कैसी आजादी हमने पायी है
यह कैसी आजादी हमने पायी है
अनपढ़, गवार, आतंकवादी
मौत के सौदागर चौराहे पर
हर जगह अपना डेरा डालें बैठे हैं
कब तक हम चुपचाप सहेंगे ?
आखिर कब तक हम मौन रहेंगे ?
खुदगर्जी, मक्कारी, तानाशाही
महंगाई, बेरोजगारी, भूखमरी
पहने को कपड़ा न रहने को घर
दो वक्त की रोटी ना अच्छी शिक्षा
कब तक सबको यह मिलेगा भाई ?
नेता कुर्सी के लिए झगड़ा करे
प्रशासक मनमानी करते हुए
तू तू मैं मैं मुद्दों से गुददो पर पहुँच गए
यह कैसा लोकतंत्र हमारा ? और
यह कैसे आजादी हमने पायी हैं।