तन्हा शोर
तन्हा शोर
मुँह की बात सुने ना हर कोई
दिल कि बात जानेे कौन ?
सुनसान राहों पर
मेरी आवाज़ सुनेगा कौन ?
सदियों से ये रास्तेे चल रहे
रोज़ हज़ारों लोग मर रहे
पर यह देेेख वह कुछ ना कह रहा
वह अपने उसी अंंदाज़ में चल रहा
आँसू देख पत्थर पिघल जाते हैं
खून देेख हवा रुक जाती है
पर यह ना पिघलेगा, ना रुकेगा
क्योंकि,
पत्थर, हवा कुदरत की देन हैं
ये रास्ते तो इंंसान की देेेन हैं...!