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जीवन एक खेल...

जीवन एक खेल...

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खेल है जीवन

विधाता का रचा हुआ

जिसमे हम खेलते हैं

जीवन भर

सफल-असफल का खेल

कभी जीत, कभी हार

कभी जश्न, कभी मायूसी

सोचकर कि

जीवन बढ़ रहा है

हमारी इच्छानुसार

हमारे प्रदर्शन अनुसार

भूल जाते हैं तब कि

यह सब तो बस खेल है

ऊपर वाले का

हम तो उसकी इच्छा पर

बस भागते रहते हैं

सफलता के रन के पीछे


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