कुछ तो बता दो ना...
कुछ तो बता दो ना...
सामाजिक मुद्दे पर अगर मैं गलत हूँ तो अपनी राय दीजिएगा।
कहाँ सुरक्षित हूँ बता दो ना अब तो।
माँ के कोख में रही उसे चिंता सताने लगी मेरे जीने-मरने, मेरे अस्तिव से।
वो भी नारी ही है फिर क्यों मार दिया उसने मुझे?
बड़ी दरिंदगी से नोचा जाता है मुझे।
हर मर्द तो साफ होता है न चरित्र से तो फिर मेरा बलात्कार कैसे होता है?
हर किताबों पर आवरण होता है फिर मुझे ही क्यों नग्न किया जाता है?
मर्यादा में रहना मेरी नियती पर पति के होते रावन ने अपहरण और दु:शासन ने वस्त्रहरण क्यों किया?
औरत हूँ यही समस्या है लेकिन समाधान नहीं। अब भी कह दो- जी लूँ या मर जाऊँ?
दुनिया कुछ भी कहे लेकिन मुझे गर्व है आखिर मैं भी औरत हूँ...