नित ये अनुरागी मन तरसे
नित ये अनुरागी मन तरसे
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नित ये अनुरागी मन तरसे
प्रेम के मीठे बोल को प्रियतम
न जाने कब संग मिले और,
दूर हो जाऐ ये तम
नित विरह की पीड़ा सताऐ
क्षण क्षण कर के युग है बीतता
तरुणाई ले हिय छटपटाऐ
बोलो तो, दर्द को कौन सींचता?
निस दिन नैना राह निहारें,
दिन अश्रु से बहते जाऐं
मन की हिलोरें तुम्हें पुकारें
घड़ी-घड़ी ये उठती जाऐं
न है ये बिनती कि तुम चले आओ
न है ये हठ कि सब छोड़ आओ
है एक सहज सरल सी बात
यूँ पल-पल याद मुझे मत आओ.