समय
समय
चौराहे से गुजरती हुई
वह लड़की
जिसके होठों पर
खिल रहा है गुलाब
जिसकी आंखों से
उग रहा है सूरज
और जिसके कदमों से
उठ रही है लहर
वह लड़की
जिसके तन-मन पर
नाच रहा है बसंत
वह लड़की
जिस पर है अभी
चारों तरफ के
राहगीरों की नजर
वह लड़की
जिसे देखकर
ट्रैफिक पुलिस का
सिपाही
होठों से सीटी बाहर
निकालना भूल गया
और बीच सड़क में
लग गया जाम
वह लड़की
जब चालीस साल बाद
इसी चौराहे से गुजरेगी
तब उसके होठों पर
मुरझाया होगा गुलाब
उसकी आंखों पर
डूब रहा होगा सूरज
और उसके कदम
धंस रहे होंगे दलदल में
उस लड़की के
तन-मन पर
खेल रहा होगा पतझड़
उस लड़की से
नजर चुरा रहे होंगे
सभी राहगीर
और उसे देखकर भी
अनदेखा कर देगा
ट्रैफिक पुलिस का
सिपाही
अथवा देर तक
बजाता रहेगा सीटी
और देता रहेगा संदेश
सभी वाहनों को
उससे दूर रहने का..
उसके चौराहे से गुजरने पर
जाम तब भी लगा था
और अब भी लगेगा
किंतु तब और कारण से
अब और कारण से..!