कुछ तो हो तुझमें खास
कुछ तो हो तुझमें खास
कुछ तो हो तुझमें खास,
जिसने तुझे निखारा हो।
कोई तो हो ऐसा ख्वाब,
जो खुली आँखों से पाला हो।।
सतही ये किस्सा न हो,
नाम-ओ-शोहरत पाने का।
रूहानी जरिया बने खुद से,
मोहब्बत निभाने का।।
घने से घने अँधेरे में,
जिसके दम से उजाला हो।
कोई तो हो ऐसा ख्वाब,
जो खुली आँखों से पाला हो।
ज़माने के तू साथ चले पर,
भीड़ में खुद को गँवा न दे।
जरूरत और जमीर की जंग में,
जिंदगी को तू भुला न दे।।
हर कदम हो साथ तेरे,
हर हाल में संभाला हो।
कोई तो हो ऐसा ख्वाब,
जो खुली आँखों से पाला हो।।