एयरबैग में घर
एयरबैग में घर
इस एयरबैग में मेरी माँ का
घर बन्द है-
एक समूचा घर।
लेकिन यह घर हमेशा ही
एयरबैग नहीं था, बल्कि एक घर था,
एक सचमुच का घर, जहाँ
दो वयस्क और पाँच अदद बच्चे
रहते थे-
एक आँगन था, जहाँ बच्चे
अंगीठी पर रोटी सेंकती माँ के आसपास
गोलदायरा बनाकर
पहले मैं... पहले मैं... करते
रोटी के लिये झगड़ते थे
फिर धीरे-धीरे
उन बच्चों ने झगड़ना छोड़ दिया
अलग-अलग राहें अपना लीं,
अलग-अलग राहें,
अलग-अलग मज़िलें,
अलग-अलग परिवार,
अलग-अलग संसार
अब वह झगड़ने वाली रातें
महज़ एक सपना थीं.
पिता नहीं रहे-
बच्चों के परिवार बढ़ने लगे
और माँ का घर सिकुड़ने लगा
घर और आँगन से एक कमरा
एक कमरे से एक चारपाई,
और अब
सिर्फ़ एक एयरबैग...
एक एयरबैग
मेरी माँ का समूचा घर...