मेरी फटी जेब
मेरी फटी जेब
फटी जेब पैसे नहीं, समझै कोई न पीर
हालत ऐसी हो गई, जैसे कोई फकीर
जैसे कोई फकीर, न चिंता है खोने की
हँसने को नहिं करै, करै नहिं मन रोने की
कहता है आज़ाद, जब से मेरी जेब कटी
पुनि पुनि जाए हाथ, दिखी मेरी जेब फटी
सारे रूपए गिर गए, देखि भयौ मैं दंग
अब मैं कैसे क्या करूँ, कोई न मेरो संग
कोई न मेरो संग, कहूँ किससे मैं मन की
भरी भीड़ में दिखता मैं, जैसे कोई सनकी
कहता है आज़ाद, दिख रहे दिन में तारे
जेब फटी नहिं बचे,वो गिर गए रुपए सारे
घरवाली का आप भी, सुनिए शब्द- प्रहार
एक जेब नहिं संभलती,खीस रहे हैं निखार
खीस रहे हैं निखार, तरस सुनकर मुझे आई
हे प्रभु किस फुरसत में, ये मेरी जोड़ी बनाई
कहता है आज़ाद, ले आई चाय की प्याली
दे दो जेब का खर्च, कह्यौ हँसकर घरवाली।