याद तुम्हारी क्यों आती है ?
याद तुम्हारी क्यों आती है ?
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लहराते हो वृक्ष कहीं पर,
बहती हो नदियाँ कोई कल-कल,
आसमान में इंद्रधनुष हो,
या बारिश हो निर्मल -निर्मल,
सहसा मेरे हृदय की हर एक धड़कन क्यों रुक सी जाती है ?
याद तुम्हारी क्यों आती है ?
निंदिया न आती हो चाहे,
चाहे ख्वाब सुहाने हो,
चाहे मुझको घेरे बैठे,
चेहरे नए -पुराने हो,
मेरे मन में तुम से मिलने की इच्छा क्यों बल पाती है ?
याद तुम्हारी क्यों आती है ?
कार्य अनेकों हो मुझ पर,
या अलसाई मैं बैठी हूँ,
सखियों के संग हंसी-ठिठोली,
या शरमाई मैं बैठी हूँ,
ढूंढ़ ही लेती है मुझको यह, विजय राग फिर क्यों गाती है ?
याद तुम्हारी क्यों आती है ?