Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

याद तुम्हारी क्यों आती है ?

याद तुम्हारी क्यों आती है ?

1 min
7.1K



लहराते हो वृक्ष कहीं पर,

बहती हो नदियाँ कोई कल-कल,


आसमान में इंद्रधनुष हो,

या बारिश हो निर्मल -निर्मल,


सहसा मेरे हृदय की हर एक धड़कन क्यों रुक सी जाती है ?

याद तुम्हारी क्यों आती है ?


निंदिया न आती हो चाहे,

चाहे ख्वाब सुहाने हो,


चाहे मुझको घेरे बैठे,

चेहरे नए -पुराने हो,


मेरे मन में तुम से मिलने की इच्छा क्यों बल पाती है ?

याद तुम्हारी क्यों आती है ?


कार्य अनेकों हो मुझ पर,

या अलसाई मैं बैठी हूँ,


सखियों के संग हंसी-ठिठोली,

या शरमाई मैं बैठी हूँ,


ढूंढ़ ही लेती है मुझको यह, विजय राग फिर क्यों गाती है ?

याद तुम्हारी क्यों आती है ?




Rate this content
Log in