तमाशा
तमाशा
वह करतब कुछ अनदेखा सा था,
मेरे गांव में मैंने यह गजब देखा था।
वह कठपुतलियां नचा रहा था,
सभी के मन को बेहद भा रहा था।
लोग पैसे देते और मजे करते,
और फिर अपने घर को चलते।
काफी समय बाद आज दिखा नहीं,
अब कठपुतलियां कोई नचाता नहीं।
नजर गयी देखा पास ही भीड़ थी,
एक औरत वहीं जमीन पर क्षीण थी।
उसके पति ने उस पर हाथ उठाया,
उठने लगीं तो उसे फिर से गिराया।
कुछ देर तक यही सब चलता रहा,
दिल अंदर ही अंदर मचलता रहा।
सास-ससुर को बनाके खिलाती थीं,
कभी यहां तो कभी वहाँ भागती थी।
पता चला उसे खरीद कर लाया गया है,
उसके बाप को बेवकूफ बनाया गया है।
घर-घर जाकर वो खुद कमाती है,
फिर सभी को बैठ कर खिलाती है।
घरवाले नौकरों के जैसे आजमाते है,
उसे अपने इशारों पर नाचते हैं।
पहले लोग कठपुतली देखते थें,
और अपने अपने घर को चलते थें।
अब भीड़ में उसका तमाशा देखते हैं,
और उसी तरह अपने घर को चलते हैं।