इंसानियत ........
इंसानियत ........
धर्म और जाति में अब तक बटे है लोग
पाखंड की तलवार से कितने कटे है लोग !
इंसानियत की बाते तो हर चौराहे होती है
दिल ही दिल में अपना ही धर्म रटे है लोग !
खुली आँखों से यहां सच दबाया जाता है
झूटी ही बातो को सच करने डटे है लोग !
तड़प रहा मरता कोई जान कौन बचाएगा
जाने क्यों गैर समझकर परे हटे है लोग !
देख तमाशा इंसानों का शशी हुवा हैरान
मानवता भुलाकर के खुदमें सिमटे है लोग !
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शशिकांत शांडिले (एकांत), नागपुर
मो.९९७५९९५४५०