उल्टी गिनती
उल्टी गिनती
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भले भूल जाऐं संस्कार
ज्यों हों वो नाम
सालों पहले मिले कुछ अप्रभावी व्यक्तियों के
संस्कृति कर्पूर सी उड़ जाऐ
या जादूगर के टोप से निकले खरगोश की तरह
हो जाए गायब फिर हवा में
चाहे भाषा स्वयं को विस्मृत कराने पर आ तुले
एक-एक शब्द छीन लिया जाऐ
तथाकथित धर्म और राजनैतिक सीमाओं के निशान
धो दिए मिटा दिऐ जाऐंं
हत्या के सबूतों की तरह
इतिहास स्वप्न मान लिऐ जाऐंं
गवाहों की घोर अनदेखी करके
मंज़ूर है
मंज़ूर है सब
बस इस शर्त की साँसें चलें
कि इन्सान अगर रहे इस गृह पर
अनुशासित लहू जो भागता
खोल वाले दौड़ पथों में
घुली रहे बची रहे इन्सानियत भीतर
बन स्थाई तत्व
बनी रहे दिल में
ललक उसे बचाऐ रखने की
ना कभी ख़त्म होने वाली
हवा की तरह
सिर्फ़ इस तरह
रुक सकेगी उल्टी गिनती
धरती की समाप्ति की