जुनून
जुनून
बहुत जुनून सा है तेरे प्यार में
क़यामत तक साथ निभाना है।
ज़िद तो है ,तुम इजाज़त तो दो
तुम्हें हर हाल में अपना बनाना है।
तेरे तसव्वुर में जाने क्यों
दिल मेरा बेक़रार सा हो रहा।
प्यार की भी एक हद होती है
जाने ज़माना क्यों याद दिला रहा।
मैं हूँ पर क्या तुम भी हो
बेपरवाह इस अंजान जमाने से।
बस तेरी एक मंज़ूरी को दिल
बेक़रार सा होता जा रहा।
विश्वास नहीं क्या तुमको मुझ पर
या जमाने के बंदिशों से डरते हो।
जब थाम लिया है हाथ ये मेरा
दो कदम संग क्यों नहीं चलते हो।
चाहे तुम जितनी देर लगा लो
उसी मोड़ पर मुझको पाओगे।
जहां वादा किया था मैंने एक दिन
ज़माने से तेरे लिए टकराएँगे।
मेरा ना एतबार सही पर
धड़कनों की तो गुज़ारिश सुनों।
किन ख़्यालों में गुम रहती हो तुम
कभी तो हाल -ए -दिल कहो।
बाँधों ना खुद को तुम ऐसे
रस्मों की ज़ंजीरों में।
रूबरू तो आकर मिलो कभी तुम
बस ख़्वाबों में आती जाती हो।