मौसी का दुलारा
मौसी का दुलारा
नन्हा-सा है वो प्यार सा है,
मौसी का राजदुलारा सा है।
"छोटू भैया" कह कर उसे बुलाऊँ,
कहानियाँ सुना उसका मन बहलाऊँ।।
हर अदा लगे मुझे उसकी न्यारी,
शब्दों में पिरोना है थोड़ा भारी।
नटखट की शैतानियाँ सबको भाए,
"मनु मासी" कहकर वो मुझे बुलाये।।
खिलौनो से वो दूर ही भागे,
इंजीनियरिंग में सबसे आगे।
करे जब वो अपनी मनमानी,
याद दिलाये सबको नानी।।
जो कोई ना खाएँ वो उसको भाए,
टिंडों पर अपनी जान लुटाए।
बातों से सबका वो मन मोह लेता,
रिश्वत बिना किसी के काम ना आता।।
उसकी जिद्द के आगे सब झुक जाएँ,
दिन रात सबको वो खूब नचाये।
रात भर जागता और सभी को जगाता,
दिन में सोए तो किसी को चैन ना आता।।
मीठा उसको खूब लुभाये,
कैंची, चाकू को अपने दोस्त बनाये।
हर वक़्त नई खुराफात है खोजे,
प्यार करे तो गालों को नोंचे।।
मिलने आता मुझे बहुत सताता,
पर उसका सताना खूब है भाता।
जब भी उसकी याद सताए,
बात करने में खूब नखरे दिखाए।।
उस से है बस यही कहना,
हमेशा ऐसे ही चंचल रहना।
खूब जियो और जीते रहो,
हर डर को अपने दूर करो।।
मासी की हैं खूब दुआएँ,
दूर रहें तुमसे सब बलाए।
स्वस्थ रहो, खुशहाल रहो,
अपना हर सपना पूरा करे।।