करदे जो तेरा मन कहता हैं!
करदे जो तेरा मन कहता हैं!
करदे जो तेरा मन कहता हैं,
आज इतना क्यों हिचकिचाना हैं .
कर सकता हैं तू जो तूने थाना हैं ,
रुकना क्यों बस बढ़ते जाना हैं .
आसान नहीं होंगे रास्ते इस मंज़िल के ,
और आसान रास्तों पर मंज़िल होती नहीं .
होगा नहीं कोई र!ही संग इस मंज़िल पे ,
मुसाफिर मिल जाये तो मंज़िल पूरी होगी नहीं.
सोचले क्या करना हैं आज,
देरी न कर , होजायेगी मंज़िल नाराज .
वादा कर आज ऐसा खुद से ,
टूट जाये दम अगर , जित ले खुद से .
करदे जो तेरा मन कहता हैं ,
आज इतना क्यों हिचकिचाना हैं !