मैं क्या हूँ
मैं क्या हूँ
मैं क्या हूं, कैसा हूं, कोई मुझे ना बताए
कैसे मुझे चलना है, यह दुनिया ना दर्शाए
झूठ बोल के सुकून देने का पाप ना कमाए
सच बोल के चाहै मेरे सीने में खंजर घोंप जाए।
मेरे दुखों पर आकर, अपने ढोंगी आंसू ना बहाए
अपना असली रूप कोई मुझसे ना छुपाए
मैं क्या हूं, कैसा हूं कोई मुझे ना बताएं।
अपनी खातिर सबसे भिड़ू
चलता चलता लड़खड़ा कर गिरूँ
गिर के उठु ..उठ के फिर गिरूँ
यह दुनिया मुझे गिरा के अब उठना ना सिखाएं
कैसे मुझे चलना है यह दुनिया ना दर्शाए।
औकात मेरी क्या है कोई मुझे ना समझाएं
मेरा खुद का कुछ वजूद है कोई उसे ना मिटाएं
अपने आपको मार कर , दुनिया मुझे जीना मत सिखाए
अंधकार में भी राह बना लूंगा मुझे रोशनी ना दिखाएं
मैं किरण हूं सूरज की मुझे अग्नि से ना डराए।
मैं क्या हूं ,कैसा हूं ,कोई मुझे ना बताएं
कैसे मुझे चलना है यह दुनिया ना दर्शाएं !