झूला झूले राधा रानी
झूला झूले राधा रानी
झूला झूले राधा रानी
कान्हा संग रास रचाई
सावन में भीगी चुनरिया
लहर लहर लहराई।
हरीभरी है ऊंची डगरीया
लता फूलोंसे खिलखिल जाए
आसमान से मिलने खातिर
खुशबू चमनमें बिखराए।
कुकू कोयल गाना गाए
लालिमा भरती किरने अंबरमें
संग पिया के चलते चलते
रंग भरते हैं अंदर अंचल में।
शुभ्र धवल तुषार धारा
धरा पर भरता है नजारा
पवन लहरों पर करता बसेरा
मनमोर चढ़कर करता है बसेरा।
इंद्रधनुष के रंग में नहा कर
जन्म हुआ माटी में वृक्षों का
प्रिय बासुरी की मधुर धुन
मगन राधा राह तके कान्हा का।