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Kumar Naveen

Abstract

4.9  

Kumar Naveen

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छोटा सा एक घर अपना

छोटा सा एक घर अपना

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मुन्नी बिटिया दिखा रही ,

पापा से गुल्लक अपना।

काश दिवाली में हो जाए,

छोटा सा एक घर अपना ।


अपने घर में कोई नहीं,

हम सब पे रौब जमाएगा

ना मकान मालिक मम्मी से,

कभी किराया माँगेगा ।।


अपनी मर्जी से हम सब,

अपने घर में रह पाएँगे ।

जन्मदिन की पार्टी भी,

दोस्तों के साथ मनाएँगे ।।


मुन्नी बिटिया की बातों से,

पापा थे बस, स्तब्ध खड़े ।

मुन्नी को बाँहों में भरकर,

बस चूम लिए दो नैन भरे ।।


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