यूँही बेवजह नहीं होता..
यूँही बेवजह नहीं होता..
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किसी का राहों मे मिल जाना यूँही बेवजह नहीं होता
मकसद चाहे जो हो ख़ुदा का ईत्तेफाक यूँही बेवजह नहीं होता...
माना लोग मशगुल है खूद के ही सवालों में इस कदर,
जीते जाना है भीड़ में भी, यु ही बेवजह यहाँ जीना दुशवार नहीं होता...
मंज़िल के लिए डटे रेहना पड़ता है, ख्वाब में मंज़िल पाना तो आसान है,
राहों की फ़रियाद न कर ए मुसाफ़िर, यु ही बेवजह कोई मुक्कमल नहीं होता..
किसी का राहों में मिल जाना यूँही बेवजह नहीं होता
मकसद चाहे जो हो ख़ुदा का ईत्तेफाक यूँही बेवजह नही होता...