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"बर्फ़ से ढके हुए पहाड़"

"बर्फ़ से ढके हुए पहाड़"

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बर्फ़ से ढके हुए पहाड़ मुस्कुरा उठते हैं

जब भी इनसे कोई मिलने आता है

यह अलग बात है कि लोग यहाँ पर घूमने आते हैं

पर इन्हें लगता हैं, इनका हालचाल पूछने आते हैं

सर्दियों में सूरज से इनकी दोस्ती हो जाती है

इसी ख़ुशी में शबनम की बूँदें छलक आती हैं

बर्फ़ की सफ़ेद चादर के नीचे एक और चादर है

तन्हाई की काली चादर, दर्द छुपाने की ख़ातिर 

पहाड़ों पर जो पेड़ हैं, वो तिरछे से लगते हैं

शायद वो काली चादर को चूमना चाहते हैं

बरसों से जिसने इन्हें आपस में बांध रखा हैं

बिना किसी डोर के, ख़ामोश से उस शोर से

बर्फ़ से लदे हुए पहाड़ मुस्कुरा उठते है

जब भी इन पे कोई क़दम रखता है

यह अलग बात है कि वो ऊपर चढ़ता है

पर इन्हें लगता है ये नीचे उतर रहे हैं

बर्फ़ से ढके हुए पहाड़ मुस्कुरा उठते है

जब भी इनसे कोई मिलने आता है।


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