तुम हो
तुम हो
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खिलती बहारों में तुम हो
तन्हा रातों में तुम हो।
खुशनुमा यादों में तुम हो
सिसकती आहों में तुम हो।
मिलन की प्यास में तुम हो
विरह की आग में तुम हो।
बारिश की बूंद में तुम हो
जाड़े की धूप में तुम हो।
दिल में जगा हर अरमान तुम हो
खुदा ने मुझ पर किया,
वो एहसान तुम हो
स्वीकार है मुझे,
मेरी हर साँस में तुम हो।।