मोक्षप्राप्ति
मोक्षप्राप्ति
मोक्षप्राप्ति *******
हमने देखा मरघट पर
लाशों को जलते हुऐ
उनकी हसरतों को
राख होते हुऐ
इनमें कई जी कर उठ रहे थे l
जो धुएँ में नज़र आ रहे थे..।
पूछा उनसे ,
क्या वजह थी
ना मुक्त हनी की
आग से निकल आँसुओं में जलने की।
तो कहने लगे ,
वह जानेवाले
अब भी कुछ हैं बाकी
हम हैं कुछ पानेवाले
बेटी की ससुराल से चिठ्ठी थी आयी
पैसों की लालची है जमाई
विष की प्याली मीठी सुराही
कहो कैसे छोड़ जाऐं हम जमघट पर जो बेटी बिहाई ।
बेटा परदेश में रोये
बोहू हमारी संस्कार खोये
बेटा भर आँखें दे दुहाई
पर उसकी साथ ना छोड़े
भले ही कटे दिन तरसे तरसे
झूल रहा तन बंधन ना तोड़े..।
हम में से कई बुढ़ापा ना खोये
वृद्धाश्रम की शानदार तन्हाई
बेपरवाह हम भी जिये
आख़िरी कुछ पल थोड़ी रो लिये।
आज देख मरघट पर अपनों को
मन करे फ़िर जी जाने को
बोहू बेटी बेटा जमाई
लगें फ़िर से अपनाने को ।
क्यूँ बने राख अंतिम घड़ी
मन कहे दे दो और चार घड़ी
कुछ पल अगर जी लेंगे इस मरघट पर
मुक्त रूह हो जाऐ बेख़बर।
मन मेरा मचल गया
रह रह कर ये थम गया
ज़िंदगी शुष्क मरू है
ये सीख सिखला दिया ।
अब ये लालसा किस बात की
अनमोल पल जो बाँट दिये
लाखों को देखे हँसते हुऐ ,
ज़िंदगी तभी मुक्त हो गयी
ये मरघट तो सिर्फ़ एक तमाशा है...
ये मरघट तो सिर्फ़ एक तमाशा है.....।