रिन-चिन डेरो डाम
रिन-चिन डेरो डाम
रिन-चिन, डेरो डाम
चिन-रिन, डेरो डाम
खेल चले सुबह से शाम
टीना, मीना और श्याम।
खेलते रहते सुबह–शाम
टीना टॉफी, मीना चॉकलेट
और कंचे लाया श्याम
खेल–खेल में तकरार बढ़ी
टीना है थोड़ी नकचढ़ी।
मीना ने भी कर ली आँखें अपनी बड़ी
टॉफी मेरी ज्यादा है,
चॉकलेट मेरी ज्यादा है,
टीना–मीना, मीना–टीना
करती रही खड़ी-खड़ी,
कुछ बुझे ना, कुछ समझे ना
ये झगड़ा तो निपटे ना,
टीना–मीना बच्ची थी,
गिनती में वो कच्ची थी,
एक, दो, सात–आठ
तीन, पाँच, छह, सात
दोनों कुछ–कुछ करती थी,
मैडम ने बतलाया था
भैया ने समझाया था
समझ में थोड़ा ही आया था,
होते-होते बात बढ़ी
थक गई थी वो खड़ी–खड़ी।
इतने में आ पहुँचा श्याम
करता हुआ धूम–धड़ाम
झट से किस्सा समझा श्याम
टीना–मीना,
एक–एक करके मुझको दो,
अपनी टॉफी, चॉकलेट दो
मीना की बारी
टीना की बारी
दोनों अब बारी–बारी,
टॉफी सारी खत्म हो गई
चॉकलेट हाथ में तीन रह गई,
तीनों तिकड़म समझ चुके थे,
झगड़े से अब निपट चुके थे,
मीना–टीना और श्याम
फिर करने लगे
रिन–चिन, डेरो डाम।।