Sandeep pandey
Abstract Others
क़ासिद के हाथ दे द हुआ
ऐसर्चा करें कोई।
शमशीर हो गर्दन पेहीं हूँ मैं।
माना ही देखेगा
अहतियात रख इ
निज़ाम ( सिस्...
होली (सूफ़ी ग...
जाति
ज़र्द पत्ते
क़ासिद
चर्चा ना कर ....
अब आए हो...
दो राहें
तूफ़ानों से घिरा हो रस्ता, डर डर क़दम बढ़ाना क्या।। तूफ़ानों से घिरा हो रस्ता, डर डर क़दम बढ़ाना क्या।।
अब इतना भी बेचैन न हो जाया करो, अपना महत्व खुद ही न घटाया करो अब इतना भी बेचैन न हो जाया करो, अपना महत्व खुद ही न घटाया करो
खींच केश खण्ड को झटक मही पे डाल दी, प्रकट हुए दो रुद्र अंश पर विध्वंस भार डाल दी खींच केश खण्ड को झटक मही पे डाल दी, प्रकट हुए दो रुद्र अंश पर विध्वंस भार डाल...
मेरे सत पर प्रश्न खड़ा कर रहे , क्या खुद सत के नियमों को मानते हो ? मेरे सत पर प्रश्न खड़ा कर रहे , क्या खुद सत के नियमों को मानते हो ?
जानकी मंगल पार्वती मंगल दोहावली आदि ग्रंथ जानकी मंगल पार्वती मंगल दोहावली आदि ग्रंथ
जिद करके मांगे पूरी करवानी थी, बचपन की भी अजब कहानी थी। जिद करके मांगे पूरी करवानी थी, बचपन की भी अजब कहानी थी।
हाँ जल रहा हूँ मैं खुद को ही अब बदल रहा हूँ मैं... हाँ जल रहा हूँ मैं खुद को ही अब बदल रहा हूँ मैं...
अब तो हम आपको अपमानित उपेक्षित नहीं करते अब तो हम आपको अपमानित उपेक्षित नहीं करते
बन्धन सब हैं कच्चे जग झूठी माया राधे कृष्णा सच्चे बन्धन सब हैं कच्चे जग झूठी माया राधे कृष्णा सच्चे
तुम मुझे कुछ वादे दे दो, बदले में कुछ यादें ले लो, तुम मुझे कुछ वादे दे दो, बदले में कुछ यादें ले लो,
हे गणेश गणपति गजानन नमन मेरा स्वीकार करो। हे गणेश गणपति गजानन नमन मेरा स्वीकार करो।
विश्वकर्मा जी को ब्रह्मांड का पहला वास्तुकार और दिव्य इंजीनियर कहा जाता है, विश्वकर्मा जी को ब्रह्मांड का पहला वास्तुकार और दिव्य इंजीनियर कहा जाता है,
याद है तुम्हें जब पहली बार मिले थे हम दोनों, क्या मुलाकात थी हमारी याद है तुम्हें जब पहली बार मिले थे हम दोनों, क्या मुलाकात थी हमारी
पर तुम्हें पढ़ना ही नहीं समझना भी मुझे लगता है पहाड़। पर तुम्हें पढ़ना ही नहीं समझना भी मुझे लगता है पहाड़।
जादूटोना, टोटके, काला जादू और धार्मिक कर्मकांड, जादूटोना, टोटके, काला जादू और धार्मिक कर्मकांड,
उजाले अपने नाम कर लेना, भुला सको तो मुझे भुला देना। उजाले अपने नाम कर लेना, भुला सको तो मुझे भुला देना।
फिर भी आज तक मुझे हर साल जलाया जा रहा है मेरा खूब उपहास उड़ाया जा रहा है फिर भी आज तक मुझे हर साल जलाया जा रहा है मेरा खूब उपहास उड़ाया जा रहा है
उन्नीस सौ चौहत्तर बड़ी कथा, दस जनवरी की सुनो व्यथा। उन्नीस सौ चौहत्तर बड़ी कथा, दस जनवरी की सुनो व्यथा।
सुख समृद्धि शांति सब तुझसे मांँ, तेरे चरणों में हम तू ही सहारा।। सुख समृद्धि शांति सब तुझसे मांँ, तेरे चरणों में हम तू ही सहारा।।
आज शाम रामलीला मैदान में रावण का पुतला दहन के लिए खड़ा था। आज शाम रामलीला मैदान में रावण का पुतला दहन के लिए खड़ा था।